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स्वस्थ और समृद्ध समाज के लिए योग आवश्यकः राष्ट्रपति

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देहरादून। 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने योग को भारत की चेतना, सांस्कृतिक विरासत और सॉफ्ट पावर का सशक्त प्रतीक बताया। उन्होंने योग को जोड़ने की शक्ति का माध्यम बताते हुए कहा कि “योग एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से, एक समुदाय को दूसरे समुदाय से और एक देश को दूसरे देश से जोड़ने का कार्य करता है। आज संपूर्ण विश्व इससे लाभान्वित हो रहा है।”

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि जब व्यक्ति स्वस्थ होता है, तो परिवार स्वस्थ होता है और जब परिवार स्वस्थ होता है, तब राष्ट्र स्वस्थ बनता है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि योग को केवल एक व्यायाम न मानकर जीवन जीने का माध्यम बनाया जाए, और सभी संस्थाएं इसे जनसुलभ बनाने के लिए आगे आएं।

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इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए योग की वैश्विक स्वीकार्यता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “योग केवल शारीरिक कसरत नहीं, बल्कि मन, आत्मा और शरीर के संतुलन का मार्ग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से आज योग एक अंतरराष्ट्रीय अभियान बन चुका है।”

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राज्यपाल ने कहा कि इस वर्ष योग दिवस की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” भारत की सनातन परंपरा “वसुधैव कुटुंबकम्” की अभिव्यक्ति है, जो हमें हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण और समाज की आपसी संबंधों की याद दिलाती है। उन्होंने उत्तराखंड जैसे आध्यात्मिक राज्य में योग के अभ्यास को विशेष महत्वपूर्ण बताया और युवाओं से आह्वान किया कि वे इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

इस अवसर पर राज्य के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से तैयार की गई भारत की पहली राज्य योग नीति – 2025 की विशेषताओं और लक्ष्यों की जानकारी दी।

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