नैनीताल बैंक के विलय के मुद्दे ने पकड़ा तूल, फिलहाल हड़ताल टली
हल्द्वानी। विनिवेश को रोकने और नैनीताल बैंक के बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय संबंधित अपनी मुख्य मांगों को लेकर नैनीताल बैंक यूनाइटेड फोरम द्वारा आज 8 सितंबर को हल्द्वानी स्थित हर्षिता गार्डन में आम सभा का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में अधिकारी कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।
सभा को संबोधित करते हुए अभय गुप्ता ने बताया कि नैनीताल बैंक के विनिवेश का मुद्दा अब राष्ट्रव्यापी बन गया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संगठन (AIBEA) एवम अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संगठन (AIBOA) द्वारा नैनीताल बैंक के विनिवेश के मुद्दे पर वित्त मंत्रालय एवम बैंक ऑफ़ बड़ौदा प्रबंधन से संपर्क किया है। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नैनीताल बैंक यूनाइटेड फोरम द्वारा 9 सितम्बर को प्रस्तावित हड़ताल को वापस लेने का आग्रह किया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि यदि अगले पंद्रह- बीस दिनों में बैंक ऑफ़ बड़ौदा एवम वित्त मंत्रालय से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं आया तो हमारे राष्ट्रीय संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वाहन किया जाएगा। सभा को संबोधित करते हुए प्रवीण साह द्वारा बताया गया कि AIBEA महासचिव कॉमरेड सी वेंकटचलम द्वारा आश्वस्त किया गया है कि बैंक ऑफ़ बड़ौदा को हर हाल में नैनीताल बैंक को प्राइवेट हाथों में नहीं जाने दिया जाएगा और नैनीताल बैंक के विनिवेश को रोकने तथा उसके बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय हेतु UFBU स्तर पर कार्यवाही करने का आश्वासन मिला है।
वहीं श्री पीयूष पयाल ने बताया कि यदि बैंक ऑफ़ बड़ौदा द्वारा विनिवेश का फ़ैसला वापस नहीं लिया गया तो इस आंदोलन को और आक्रामक रूप दिया जाएगा। उन्होंने बताया की उनका केंद्रीय नेतृत्व जल्द ही एक प्रतिनिधि मंडल के साथ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन से मुलाकात करेगा तथा नैनीताल बैंक के विनिवेश को रोक यथास्थिति बनाए रखने तथा बैंक के बैंक ऑफ़ बड़ौदा में विलय हेतु वार्ता करेगा। फिलहाल केंद्रीय नेतृत्व के आग्रह पर नैनीताल बैंक यूनाइटेड फोरम द्वारा आगामी 9 सितम्बर की प्रस्तावित को फिलहाल टाला जा रहा है।
केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार आगे की कार्यवाही से सभी को जल्द ही अवगत कराया जाएगा।इस सभा में चंद्रशेखर कन्याल, शैलेंद्र राजपाल, सुमित तिवारी, प्रखर पाटनी , मुकेश पंत, रजत शाह, साहिल ख़ान, प्रवीण रावत, हेम जोशी रूपल पांडे, उपासना खाती, रिचा राठौड़,निशा कामथ, पूर्णा बाजपाई, पुस्कर भट्ट आदि ने अपने विचार रखे।