सरकारी भूमि हो गई गायब, एसआईटी की चिट्टी के बाद मचा हड़कंप
उत्तराखंड की राजधानी दून में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। आरकेडिया ग्रांट क्षेत्र में चंदनबनी एस्टेट की 700.30 एकड़ सरकारी भूमि गायब हो गई है। राजस्व विभाग के दस्तावेजों में भी इस भूमि का कोई ब्योरा दर्ज नहीं है। जिला प्रशासन यह बताने में असमर्थ है कि सरकारी जमीन आखिर कहां गई।
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने सरकारी जमीन गायब होने का पर्दाफाश किया है और रिपोर्ट सचिव वित्त को भेजी है। इसमें खुलासा किया गया है कि 1969 में तत्कालीन राज्य सरकार ने दून हाउसिंग कंपनी से जमीन का अधिग्रहण किया था। अब यह जमीन कहां है और किसके कब्जे में है, कोई जानकारी नहीं मिल रही है। एसआईटी की चिट्ठी के बाद सरकार हरकत में आ गई है।
गौरतलब हो कि आजादी से पूर्व देहरादून में दून हाउसिंग कंपनी बनी थी। आवासीय परियोजनाओं में प्रयोग के लिए कंपनी को सैकड़ों एकड़ जमीन सरकार की ओर से दी गई थी। इसमें शर्त रखी गई थी कि आवासीय परियोजनाओं में जमीन का प्रयोग नहीं करने पर जमीन सरकार वापस ले लेगी। 700 एकड़ जमीन का प्रयोग आवासीय योजनाओं के लिए नहीं किया जा सका। इसलिए शर्त के मुताबिक 1969 में राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण की सूचना प्रकाशित करा दी।
सूचना प्रकाशन के साथ ही 700.30 एकड़ भूमि राज्य सरकार में निहित हो गई। एसआईटी की रिपोर्ट साफतौर पर बताती है कि यह भूमि राज्य में निहित होने के बाद चंदनबनी एस्टेट की 700.30 एकड़ भूमि पर कब्जा राजस्व विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने लिया या नहीं, अभी तक डीएम कार्यालय और तहसील सदर कार्यालय की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है। एसआईटी ने कहा, 700.30 एकड़ सरकारी भूमि पर राज्य सरकार का कब्जा नहीं होने की दशा में बड़ा नुकसान होने की संभावना नजर आ रही है।
एसआईटी ने इस पूरे प्रकरण की सघन छानबीन करते हुए हर बिंदु से शासन को अवगत कराया है। रिपोर्ट में बताया कि भूमि अधिग्रहण को लेकर जो अधिसूचना 1 सितंबर 1969 को तत्कालीन राज्य सरकार ने प्रकाशित कराई थी, उसकी प्रति ही डीएम-तहसील कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। इन जमीनों के मालिकाना हक को लेकर कई लोग कोर्ट में भी चले गए हैं।
जिला शासकीय अधिवक्ता इन दावों को भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना के आधार पर अस्वीकार करने के लिए पेरोकारी कर रहे हैं, लेकिन इन वादों की पत्रावलियों में भी उस अधिसूचना की प्रति नहीं रखी गई है। विशेष जांच दल का दावा है कि इस अधिसूचना को एसआईटी ने अन्य लोगों से प्राप्त किया है। उसका अध्ययन किया गया है। दून हाउसिंग (इंडिया) लिमिटेड के प्रतिनिधि सचिन घिल्डियाल ने भी उस अधिसूचना की प्रति उपलब्ध कराई है।
सचिव वित्त दिलीप जावलकर का कहना हैं की शासन को प्राप्त पत्र में यह जानकारी मिली है कि आरकेडिया क्षेत्र में 700.30 एकड़ सरकारी जमीन का दस्तावेजों में कोई विवरण नहीं मिल रहा है। राजस्व विभाग से यह पता कराया जा रहा है कि संबंधित जमीन पर अधिग्रहण के बाद कब्जा लिया गया था या नहीं। यह जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।