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चारधाम यात्रा में हेलिकॉप्टर हादसों पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा स्पष्ट जवाब

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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा के दौरान हो रहे हेलिकॉप्टर हादसों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस विषय पर स्पष्ट जवाब तलब किया है।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से सरकार से सवाल किया कि, “हर वर्ष चारधाम यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं क्यों हो रही हैं? इनमें क्या तकनीकी या प्रशासनिक खामियां हैं और इन लापरवाहियों के लिए जिम्मेदार कौन है?” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार की घटनाओं में लापरवाही किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं होगी।

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खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि हेलिकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक ठोस और व्यवस्थित नीति तैयार की जाए, जिससे भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। कोर्ट ने कहा कि नीति में स्पष्ट प्रावधान हों, जो मौसम की स्थिति, तकनीकी जांच, एविएशन स्टाफ की दक्षता और ऑपरेटिंग मापदंडों को कवर करें।

कोर्ट ने कहा कि केदारनाथ घाटी एक उच्च हिमालयी क्षेत्र है, जहां मौसम पलभर में बदल सकता है। ऐसे में एविएशन कंपनियों को स्थानीय मौसम, कोहरा और वर्षा के बाद की स्थितियों की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि बारिश के बाद जब क्षेत्र शुष्क हो जाते हैं, तो ऐसी परिस्थिति में उड़ानों में अतिरिक्त सतर्कता अपेक्षित है।

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राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चारधाम यात्रा मार्ग पर हेलिकॉप्टर सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। यह निर्णय सावधानीवश लिया गया है, ताकि पुनः ऐसी कोई दुर्घटना न हो।

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हाईकोर्ट ने सरकार को इस दिशा में व्यापक और दीर्घकालिक नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई नियत तिथि पर होगी।

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