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उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर भाजपा में घमासान, प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में उठे सवाल

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उत्तराखंड में निकाय चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं, और भाजपा के भीतर इसको लेकर सियासी हलचल भी बढ़ गई है। आरक्षण सूची के जारी होने के बाद पार्टी में नाराजगी और दावेदारों की होड़ ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह बन गई है कि वह अपने प्रत्याशियों के चयन को लेकर किस तरह से संतुलन बनाती है।

आरक्षण सूची जारी होने के बाद भाजपा में सियासी घमासान शुरू हो गया है। एक ओर दावेदारों की भीड़ ने आरक्षण सूची पर विरोध जताया है, तो दूसरी ओर यह आपत्ति हाईकोर्ट तक जा चुकी है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि इन आपत्तियों से कुछ बदलाव होगा क्योंकि आपत्ति देने की प्रक्रिया विभागीय स्तर पर चल रही है और अगर समय रहते इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता, तो मामला कोर्ट में भी नहीं उठ सकता। ऐसे में यह संभावना कम है कि आरक्षण की सूची में कोई बड़ा बदलाव होगा।

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भाजपा में प्रत्याशी चयन को लेकर स्क्रीनिंग प्रक्रिया जारी है, जिसमें पार्टी नेतृत्व जनता के बीच लोकप्रिय नेताओं की राय ले रहा है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी के अनुसार, पार्टी निकाय चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने बताया कि चुनाव की तैयारी के तहत प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए नगर निगमों के लिए तीन-तीन सदस्यीय पर्यवेक्षकों की समिति बनाई गई है, जो प्रत्येक नगर निगम के प्रत्याशी चयन में मदद करेगी। इसके अलावा, भाजपा के 19 संगठनात्मक जिलों में भी कमेटियां गठित की गई हैं।

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यह पूरी प्रक्रिया 21 तारीख तक खत्म हो जाएगी, और उस समय तक पर्यवेक्षकों द्वारा प्रत्याशियों की सूची प्रदेश नेतृत्व को सौंप दी जाएगी। अब देखना यह है कि भाजपा किस तरह से इन दावेदारों और आपत्तियों के बीच अपनी रणनीति को सफल बनाती है।

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