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कार्यमंत्रणा समिति से यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह का इस्तीफा

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उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण में आयोजित विधानसभा का मॉनसून सत्र मात्र 2 घंटे 40 मिनट ही चल सका। भारी हंगामे के चलते प्रश्नकाल तक नहीं हो पाया। सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज़ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कार्यमंत्रणा समिति के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। इस संबंध में दोनों नेताओं ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी भेजा है।

अपने त्यागपत्र में दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि कार्यमंत्रणा समिति में संख्या बल के आधार पर सरकार मनमानी कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है और विपक्ष को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।

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नेताओं ने बताया कि मॉनसून सत्र के लिए 18 अगस्त को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें केवल 19 अगस्त के लिए कार्यक्रम तय किया गया। उस बैठक में यह भी कहा गया था कि 19 अगस्त के बाद फिर बैठक होगी, लेकिन 19 अगस्त को कोई बैठक नहीं बुलाई गई।

20 अगस्त को सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया, जिसके बाद कांग्रेस नेताओं ने नाराज़गी जताई। प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार को यह निर्णय लेने से पहले कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाकर सभी सदस्यों को विश्वास में लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

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नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक प्रीतम सिंह ने भराड़ीसैंण में सत्र को बीच में ही समाप्त करने को “उत्तराखंड की जनता के साथ बड़ा धोखा” बताया। उन्होंने कहा कि जब समिति में सभी फैसले एकतरफा लिए जा रहे हैं, तो ऐसे में उसमें बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसी कारण दोनों ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।

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गौरतलब है कि कार्यमंत्रणा समिति का काम विधानसभा में सरकारी और अन्य कार्यों के लिए समय का निर्धारण करना होता है, जिससे सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके।

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