उत्तराखण्डदेहरादून

सरकार की हीलाहवाली ने संकट में डाल दिया जोशीमठ का अस्तित्वः बहुगुणा

ख़बर शेयर करें -

देहरादून। भाकपा (माले) के राज्य सचिव कॉमरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि जोशीमठ भू-धंसाव स्थानीय जनता की ओर से पिछले 14 महीनों से दी जा रही चेतावनी की अनदेखी का परिणाम है। कहा कि सरकार की हीलाहवाली ने जोशीमठ के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है।

कॉमरेड राजा बहुगुणा ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखंड का ऐतिहासिक जोशीमठ नगर एक अभूतपूर्व गंभीर संकट में है। यह ऐसा संकट है, जिसने इस महत्वपूर्ण शहर के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है। लेकिन इस संकट से निपटने के लिए जिस तत्परता और तेजी की आवश्यकता है। राज्य सरकार की कार्यवाही में वह नदारद है। इस संकट का एक पहलू यह भी है कि राज्य सरकार ने लगभग 14 महीने से इस संकट को लेकर जोशीमठ की जनता द्वारा दी जा रही चेतावनी को अनदेखा किया। उन्होंने कहा कि पहले राज्य सरकार ने आसन्न संकट को अनदेखा किया और अब वह संकट से बहुत धीमी गति से निपट रही है। बल्कि संकट के आंकड़ों को छुपाने के लिए ‘इसरो’ समेत सभी संस्थाओं को आपदा की जानकारी जनता को दिए जाने तक पर रोक लगा दी गई है।

यह भी पढ़ें -  ‘‘बालिका आत्मरक्षा एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र’’ का राज्यपाल ने किया शुभारंभ

आरोप लगाते हुए कहा कि तथ्यों को छुपाने से कुछ नहीं होगा, दरारें सामने आ चुकी हैं। जोशीमठ के धंसने की ‘इसरो’ की रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। जोशीमठ कितना टिकेगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन मध्य हिमालय के इस संवेदनशील इलाके में यदि हल्का सा भी भूकंप आया तो उसके परिणाम विनाशकारी होंगे। बहुगुणा ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री ने अभी तक भी इस संकट को गंभीरता से नहीं लिया है। मुख्यमंत्री नित नए प्रतिनिधियों को नियुक्त कर रहे हैं और पुराने प्रतिनिधि भागते जा रहे हैं। जिसमें कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी शामिल हैं। इस आपात स्थिति में प्रधानमंत्री को सीधे हस्तक्षेप कर रेसक्यू ऑपरेशन को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के साथ तालमेल करते हुए सीधे अपने हाथ में लेकर, युद्ध स्तर पर राहत कार्य को अंजाम देना चाहिए। ताकि राहत कार्य में बना गतिरोध अविलंब दूर हो सके। अन्यथा भारी जानमाल के नुकसान को रोक पाना दुष्कर कार्य साबित होगा। अब जोशीमठ हेतु पूर्ण जवाबदेही केंद्र सरकार की तय होनी चाहिए। माले राज्य सचिव ने कहा कि यह साबित हो चुका है कि जोशीमठ के हालात के लिए एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना की टनल बनाने में किए जा रहे विस्फोट जिम्मेदार हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की बात को संज्ञान में नहीं लिया और सरकार अभी भी जोशीमठ की तबाही के लिए एनटीपीसी की परियोजना को जिम्मेदार मानने को तैयार नहीं है। जबकि पानी के रिसाव का स्रोत एनटीपीसी की सुरंग ही है।

यह भी पढ़ें -  ड्यूटी से गायब रहने वाले डॉक्टर के खिलाफ आयुक्त ने दिए जांच के निर्देश

उन्होंने कहा कि 2013 की केदार आपदा के बाद भी केंद्र और राज्य सरकार का उत्तराखंड में विकास हेतु नीतियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है और केदारनाथ को कंक्रीट के जंगल में बदल दिया गया है। विनाशकारी जल विद्युत परियोजनाओं और चार धाम परियोजना को जारी रखा गया है। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग के निर्माण के दौरान भी कई जगह दरार पढ़ने की सूचनाएं मिल रही है। अभी भी समय है कि मध्य हिमालय के संवेदनशील इलाके में विकास की दिशा को जनपक्षीय बनाने के लिए एक नई कार्ययोजना तैयार की जाए अन्यथा आने वाले समय में बड़े जानमाल के संकट का खतरा अवश्यंभावी है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ को बचाने के लिए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संघर्ष के साथ हम अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हैं। वार्ता में भाकपा माले राज्य सचिव कॉमरेड राजा बहुगुणा के अलावा भाकपा (माले) के वरिष्ठ नेता गिरिजा पाठक, भाकपा माले गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक और भाकपा माले राज्य कमेटी सदस्य अतुल सती और डा. कैलाश पाण्डेय भी मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें -  उत्तराखंड में आफत की बारिश, झील टूटने से बहा पुल, कई घरों में मलवा
What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
Join WhatsApp Group

Daleep Singh Gariya

संपादक - देवभूमि 24