जिन क्षेत्रों में ज्यादा नक्शे पास होंगे, वहीं होगा विकास
देहरादून। प्रदेश के शहरों के जिन क्षेत्रों में ज्यादा नक्शे पास होंगे, वहीं विकास होगा। आवास विभाग ने मानचित्र स्वीकृति से मिलने वाले विकास शुल्क के निर्धारण का शासनादेश जारी कर दिया है। इसके तहत ही मलिन बस्तियों के पुनर्वास को 10 प्रतिशत बजट का प्रावधान किया गया है।
आवास विभाग की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक, प्राधिकरण को मानचित्र स्वीकृति से जो विकास शुल्क मिलेगा, उसका 10 प्रतिशत हिस्सा वह प्रशासनिक व्यय में खर्च करेगा। 10 प्रतिशत हिस्सा निकायों की मदद से मलिन बस्तियों के पुनर्वास पर खर्च करना होगा। बाकी 80 में से 30 प्रतिशत हिस्सा उस क्षेत्र के विकास कार्यों में खर्च होगा, जहां सबसे ज्यादा नक्शे पास होने पर प्राधिकरण को विकास शुल्क मिलेगा। बची हुई 50 प्रतिशत धनराशि का उपयोग अन्य क्षेत्रों में विकास कार्यों के गुणवत्ता के आधार पर किया जा सकेगा।
यह शासनादेश जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों के साथ ही मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण और हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण पर भी समान रूप से लागू होगा। अब सभी विकास प्राधिकरणों को नक्शे पास कर विकास शुल्क लेते वक्त हर क्षेत्र का हिसाब रखना होगा, ताकि यह पता चल सके कि किस क्षेत्र में कितने अधिक नक्शे पास हुए और कहां से ज्यादा विकास शुल्क आया है। इसी हिसाब से 80 प्रतिशत राशि का खर्च करना अनिवार्य होगा। विकास प्राधिकरणों को नक्शा पास करने पर मिलने वाले विकास शुल्क की धनराशि का वितरण, खर्च और अनुश्रवण करने के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी।
इसमें डीएम या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सदस्य सचिव होंगे, जबकि नगर आयुक्त या मुख्य नगर अधिकारी या अधिशासी अधिकारी बतौर सदस्य होंगे। विकास शुल्क से वेतन, मजदूरी, महंगाई भत्ता, यात्रा व्यय, अन्य भत्ते, मानदेय, पारिश्रमिक, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, प्रशिक्षण व्यय, अनुमन्यता संबंधी व्यय, लेखन सामग्री एवं छपाई, कार्यालय फर्नीचर एवं उपकरण, कार्यालय व्यय, किराया, उपशुल्क, विज्ञापन एवं प्रकाशन पर व्यय, उपयोगिता बिलों का भुगतान, कंप्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अनुरक्षण, व्यावसायिक तथा विशेष सेवाओं के भुगतान, कार्यालय के लिए वाहन खरीद, गाड़ियों का संचालन, पेट्रोल, डीजल, सेमिनार, बैठक, भ्रमण, राजस्व मद एवं आतिथ्य व्यय आदि पर खर्च करने पर रोक लगा दी गई हैं।