प्रशासन का बड़ा कदम –ब्लॉक निलंबित, अब समिति के हवाले कमान

उत्तराखंड में बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई सामने आई है। हरिद्वार जिले के भगवानपुर ब्लॉक की प्रमुख करुणा कर्णवाल को उनके पद से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि उन पर अपने पद और अधिकारों का सही तरीके से निर्वहन न करने और उनके स्थान पर उनके ताऊ एवं दर्जाधारी राज्यमंत्री देशराज कर्णवाल द्वारा कार्यों के संचालन के गंभीर आरोप लगे थे। इस घटनाक्रम के सामने आने के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है।
करुणा कर्णवाल साल 2022 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार के तौर पर ब्लॉक प्रमुख चुनी गई थीं। आरोप है कि कार्यभार संभालने के कुछ समय बाद ही उन्होंने अधिकांश जिम्मेदारियां अपने ताऊ देशराज कर्णवाल को सौंप दीं। क्षेत्र पंचायत सदस्य पूर्णिमा त्यागी ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि जब भी वह विकास कार्यों को लेकर ब्लॉक प्रमुख से मिलने पहुंचीं, तो वहां करुणा की जगह देशराज कर्णवाल बैठे हुए पाए गए और वही निर्णय लेते थे।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि करुणा ने खुद कहा था, “ताऊ ही सब कुछ करेंगे।” स्थानीय विधायक ममता राकेश ने भी इस मुद्दे को पंचायत बैठकों में उठाया और नाराजगी जाहिर की कि ब्लॉक प्रमुख की भूमिका में एक निर्वाचित प्रतिनिधि के स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति फैसले ले रहा है।
मामला तब और तूल पकड़ गया जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें देशराज कर्णवाल को ब्लॉक प्रमुख के तौर पर कार्य करते हुए देखा गया। इसके बाद प्रशासन ने गंभीरता से जांच शुरू की। गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि करुणा कर्णवाल खुद अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर रही थीं और ब्लॉक के सभी कार्यों का संचालन देशराज कर्णवाल ही कर रहे थे।
इस रिपोर्ट के आधार पर पंचायत राज निदेशक निधि यादव ने करुणा कर्णवाल को पद से निलंबित करने के आदेश जारी किए। इसके साथ ही भगवानपुर ब्लॉक के प्रशासनिक और वित्तीय कामकाज को देखने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जो आगामी निर्देशों तक सभी कार्यों की निगरानी करेगी।
इस मामले को लेकर विपक्ष ने भाजपा पर जोरदार हमला बोला है। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा, “यह सत्ता के खुले दुरुपयोग का मामला है। वीडियो में स्पष्ट है कि देशराज कर्णवाल ब्लॉक प्रमुख की भूमिका निभा रहे थे, जबकि करुणा कर्णवाल सिर्फ नाम मात्र की प्रतिनिधि थीं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा महिलाओं को सिर्फ चेहरा बनाकर सत्ता की बागडोर पुरुषों को ही सौंपती है। “यह भाजपा का नया मॉडल बन गया है — मंचों से ‘नारी शक्ति’ की बात और ज़मीन पर महिलाओं को परिवार के पुरुषों की कठपुतली बना देना। यही है इनका असली ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ मॉडल,” गरिमा ने तीखे शब्दों में कहा।
इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि यदि प्रशासन के पास वीडियो जैसे पुख्ता सबूत पहले से मौजूद थे, तो कार्रवाई में इतना विलंब क्यों हुआ? क्या भाजपा सरकार तब तक चुप बैठी रहती है जब तक मामला मीडिया में ना आए?
