उत्तराखण्डजन-मुद्देनैनीताल

 भूस्खलन की चपेट में नैनीताल का खूपी गांव, खतरे में ग्रामीणों का अस्तित्व 

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उत्तराखंड में भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, खासकर कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले के खूपी गांव में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। 2014 से चल रहे इस प्राकृतिक संकट ने अब तक करीब 100 नाली भूमि को प्रभावित किया है और गांव के कई घरों में बड़े-बड़े दरारें पड़ गई हैं। भूस्खलन के कारण ग्रामीण अब अपने घरों को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं, जबकि शासन-प्रशासन की ओर से अभी तक प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है।

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ग्रामीण मुन्नी देवी ने बताया कि उनकी मेहनत से बने दो कमरे वाले घर में कई दरारें आ चुकी हैं और घर भूस्खलन की जद में है। वहीं, स्थानीय निवासी महेंद्र प्रसाद ने कई बार अधिकारियों और राजनेताओं से मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी वजह से आधा दर्जन से अधिक परिवार सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर चुके हैं।

खूपी गांव नैनीताल की तलहटी और बलिया नाले के समीप स्थित है, जहां लगातार भूस्खलन हो रहा है। इस क्षेत्र के ऊपर आर्मी कैंट और आलूखेत गांव भी भूस्खलन के खतरे से अछूते नहीं हैं।

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नैनीताल के एसडीएम नवाजिश खालिक ने बताया कि भूस्खलन प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले ही एक ऐसा स्थल चिन्हित किया गया है, जिसे भूगर्भीय दृष्टि से असुरक्षित घोषित किया गया है, जबकि दूसरे स्थल के चयन की प्रक्रिया जारी है।

स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि भूस्खलन के कारण पूरे गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। यदि जल्द ही आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो खूपी गांव पूरी तरह से तबाह हो सकता है।

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