उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनाव के दौरान कथित किडनैप मामले में सरकार को दी सख्त चेतावनी

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान 14 अगस्त को हुई घटनाओं और पांच जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने बताया कि पूर्व के आदेश के बावजूद सरकार ने अब तक कोई प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं की है।
आज, बुधवार 29 अक्टूबर को हुई सुनवाई में सरकार ने कहा कि उनके पास जो जांच रिपोर्ट आई है, वह अधूरी है। पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उन्हें एक दिन का समय देने का अनुरोध किया गया। इससे संतुष्ट होकर खंडपीठ ने सरकार को एक दिन के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार की तिथि निर्धारित की।
सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई। सुनवाई के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया कि पहले भी कोर्ट ने प्रगति रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन अभी तक सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। न तो अपहरण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और न ही जांच में कोई प्रगति हुई। मामले के कोर्ट में आने के बाद केवल एक थाने के पुलिसकर्मी को निलंबित किया गया।
मामले की पृष्ठभूमि यह है कि 14 अगस्त को हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान पांच सदस्य अचानक गायब हो गए थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ये पांच सदस्य उनके थे और भाजपा द्वारा उनका अपहरण किया गया। कांग्रेस ने इस संबंध में पुलिस को तहरीर भी दी और कुछ वीडियो भी प्रस्तुत किए।
हालांकि बाद में लापता सदस्य खुद सामने आए और कहा कि उनका अपहरण नहीं हुआ, वे अपनी मर्जी से गए थे। इसके बावजूद हाईकोर्ट ने इस घटना समेत चुनाव के दौरान हुए अन्य विवादों पर स्वतः संज्ञान लिया और राज्य सरकार से स्वतंत्र जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। लेकिन चुनाव हुए दो माह बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट अभी तक कोर्ट में नहीं पेश की गई।








