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आज दुःखी हैं मेर्टी कूपर अपने मोबाइल फोन के आविष्कार से, जानिए क्यों?

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3 अप्रैल 1973 को जब पहली बार मोटरेला कम्पनी में काम करने वाले मेर्टी कूपर ने एक किलो वजनी मोबाइल फोन पर अपने प्रतिस्पर्धी जोयल एंजेल से बात करते हुए कहा “जोयल में एक हाथ से पकड़े जा सकने वाले पोर्टेबल मोबाइल फोन से आपसे बात कर रहा हूँ” तो विश्व के संचार जगत में एक क्रांति आ गई थी और आज यह क्रांति चरम पर है। एक सर्वे के अनुसार माना गया है कि पूरे विश्व में लगभग 5 अरब लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, और इसके ठीक आधे 50% लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

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लेकिन आज इस क्रांति के जनक मेर्टी कूपर इसके बेतहाशा इस्तेमाल व हो रहे दुरूपयोग से बेहद दुःखी हैं।94 वर्षीय कूपर का मानना है कि अधिकांश लोग जिस तरह मोबाइल स्क्रीन पर अपना समय बिता रहे हैं वह उन्होंने नहीं सोचा था।इससे लोगों की मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है व शरीर कई बीमारियों का शिकार हो रहा है।पारिवारिक व सामाजिक संतुलन पर भी इसका असर दिखाई देता है।

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हाल के दिनों में दिये गये एक साक्ष्यातकार में उन्होंने बताया कि मात्र 25 मिनट की बैटरी बैकअप वाले 1 किलो वजनी मोबाइल फोन का आविष्कार करने में उनकी टीम को तीन महीने का समय लगा। आज इसका सुधार होते होते इसकी कमियाँ भी सामने आने लगी हैं, कई लोग सड़क पार करते हुए भी स्क्रीन पर नजरें गड़ाये रहते हैं व दुर्घटना का शिकार होते हैं। कूपर ने आशा व्यक्त की है कि भविष्य में जब इसका उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं और जन कल्याण कारी कार्यों के लिए होगा तब इसके बेहतर परिणाम सामने आयेंगे।

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Daleep Singh Gariya

संपादक - देवभूमि 24