जरा ख्याल रखें ये बसंत ऋतु है।
भारत की छः ऋतुओं में से एक ऋतु बसंत ऋतु भी है, जिसका आगमन हो चुका है।यह ऋतु शीतकाल और ग्रीष्म काल के संधिकाल का समय है।इसलिए इस ऋतु में ठंड और गर्मी दोनों का प्रभाव रहता है।प्रायः दिन में गर्मी और रात में ठंड पड़ती है इसलिए मौसम की इस अस्थिरता का प्रभाव हमारे शरीर और स्वास्थ पर भी पड़ता है। “बसंते निचित: श्लेष्मा दिनकृ भदाभिरीरितः” (चरक) के अनुसार हेमंत ऋतु में संचित हुआ कफ् सूरज की किरणों के तेज हो जाने पर कुपित होने लगता है। और कफ् जन्य रोग पैदा होने लगते हैं। व जठराग्नि मंद होने लगती है। इस ऋतु में भारी चिकनाई वाले, खट्टे मीठे पदार्थों का सेवन, तथा दिन में सोना वर्जित किया गया है। चैत्र मास में नीम की नई कोपल जो नई नई हों सुबह खूब चबाकर खाना चाहिए। इन दिनों में शहद, अदरक, करेला, आंवला, परवल, मूँग की दाल, हरी शाक सब्जियां तथा मौसमी फलों का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए। उचित आहार- विहार किया गया तो यह ऋतु बड़ी सुहानी होती है इसीलिए इसे ऋतुराज और मौसमेबहार कहा जाता है।