फूलदेई त्योहार, धूमधाम से मनाया गया उत्तराखंड का लोकपर्व।
अल्मोड़ा से राजू भंडारी की रिपोर्ट जानिए कैसे मना फूलदेई पर्व
उत्तराखंड के समस्त छेत्रों में अपना लोकपर्व फूलदेई, छम्मा देई का पर्व बहुत धूमधाम से संपन्न हुआ। अपने अपने छेत्र में सुबह से ही नन्हें मुन्ने बच्चे हाथ में निगाल की या फिर थालियों में फूल सजाकर सभी घरों की दहलीज पर जाकर फूलदेई, छम्मा देई कहकर गृहस्वामी को धन धान्य से परिपूर्ण होने की शुभकामनाएं देते रहे, वहीं गृहस्वामी उनकी थालियों में चावल, पैसे आदि देकर उनका आशीर्वाद लेते रहे।
पूरे दिन बच्चों का काफिला गाँवों में इधर उधर चलता दिखाई दिया। समय के साथ पहाड़ों में पलायन के चलते इस त्योहार का उत्साह फिर भी बना हुआ है। इस त्यौहार की परंपरा को बनाये रखने के लिए पहाडों के अधेड़ व बुजुर्ग इस त्यौहार को प्रतीक रूप में मनाते हैं। क्योंकि माता पिता के साथ बच्चे भी पलायन कर चुके हैं। इसलिए वे बच्चों के नाम की थालियां बनाकर उसमें फूल आदि रख त्यौहार मानते हैं। रानीखेत के बिसोना गाँव के एक दंपति का एक फोटो इस संबंध में चर्चित है। इसी के साथ उत्तराखंड के भाई बहनों के प्रेम का प्रतीक भिटौली पर्व जो पूरे चैत्र माँस तक चलता है प्रारंभ हो गया है।