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पंचायत चुनाव पर संकट, आरक्षण फैसला अधर में

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उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव तय समय पर होते नजर नहीं आ रहे हैं। एक ओर चारधाम यात्रा की तैयारियों में प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह व्यस्त होने जा रही है, वहीं दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रस्तावित अध्यादेश अब तक कैबिनेट में पेश नहीं किया गया है।

प्रदेश के 13 में से 12 जिलों में (हरिद्वार को छोड़कर) पंचायत चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले पंचायत एक्ट में संशोधन कर ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करना जरूरी है। संशोधन के बाद आरक्षण का प्रतिशत तय कर शासनादेश जारी होगा और अनंतिम आरक्षण सूची प्रकाशित की जाएगी। इस सूची पर आपत्तियां ली जाएंगी और फिर सुनवाई के बाद ही अंतिम आरक्षण तय होगा।इस बीच जिला पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल 1 जून 2025 को समाप्त हो रहा है। समय की कमी को देखते हुए चुनाव से पहले यह प्रक्रिया पूरी करना मुश्किल लग रहा है। ऐसे में शासन प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा सकता है।विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार के अनुसार, पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने और तैयारी के लिए कम से कम 28 दिन चाहिए। जबकि इसी समय चारधाम यात्रा की शुरुआत भी हो रही है, जिससे प्रशासन पर अतिरिक्त दबाव रहेगा।

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राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा आरक्षण सूची उपलब्ध कराए जाने के बाद ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। आयोग तैयार है और समय पर चुनाव कराने की कोशिश की जाएगी।

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