ज्ञान का मार्ग प्रशस्त कराती है भागवत कथाः आचार्य सतीश चंद्र लोहनी

हल्दूचौड़। हनुमान मन्दिर बाबाजी की कुटिया में मंदिर कमेटी के समस्त भक्तजनों के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा वाचक पंडित सतीश लोहनी ने श्रद्धालुओं को भागवत कथा का मर्म समझाया।
कहा कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं। व्यास जी ने कहा कि भागवत के चार अक्षर तात्पर्य भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग है श्रीमद् भागवत दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है।
उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। कथा सुनकर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। कथा के मध्य में मेरी लगी श्याम संग प्रीत और मां की ममता के महत्व का भजन सुनकर भक्त आत्मसात हो गये। कथा पंडाल में सैकड़ों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए ब्यासाचार्य श्री लोहनी ने कहा कि सुमति व कुमति हर प्राणी के अंदर सदैव रहती है। कब कौन सी बुद्धि उजागर हो जाए कोई कुछ कह नहीं सकता। अच्छे संग से सुमति व बुरे संग से कुमति ही उत्पन्न होती है।जहां सुमति होगी वहां सुख, सम्पत्ति तथा जहां कुमति होती है वहाँ दुःख व विपत्तियां मंडराने लगती है। जब हितैषी शत्रुवत तथा शत्रु मित्रवत लगने लगे तो समझ लो कि कुमति उजागर हो रही है। जो की विनाश का कारण बनेगी। अत: कुमति को त्यागकर सुमति के पथ का ही अनुसरण करना चाहिए। भागवत कथा के चतुर्थ दिवस ब्यास जी ने दिव्य अमृत वचनों से पंडाल में उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को कृतार्थ किया।
इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल मंदिर के पुजारी प्रकाश चंद जोशी, यजमान चंद्रबल्लभ खोलिया पूरन चंद भट्ट, मंदिर कमेटी के संरक्षक उमेश चन्द्र कबडवाल,अध्यक्ष कैलाश चंद्र दुम्का, सचिव बालकृष्ण दुम्का, कोषाध्यक्ष खीमानंद तिवारी, लेखा निरीक्षक दयाकिशन बमेटा,उप लेखा निरीक्षक भुवन चंद्र गरवाल, सदस्य मुकेश दुम्का, कैलाश बमेटा,नवीन बमेटा, दयाकिशन बमेटा दयाकिशन कबडवाल, बालादत्त दुम्का, जिला पंचायत सदस्य कमलेश चन्दोला, वरिष्ठ समाजसेवी हेमवती नन्दन दुर्गापाल, पूर्व प्रधान इंदर सिंह बिष्ट, हरीश सिंह बिष्ट, पीतांबर दुम्का, केशव कबडवाल, पूर्व प्रधान इंदू कबडवाल, हिमांशु कबडवाल, गिरीश धारीयाल, अमित संनवाल, देवीदत्त कबडाल, भुवन कबडाल, चंद्र बल्लभ डबडाल, लाल सिंह धपोला, राजेन्द्र अधिकारी, मोतीराम गरवाल, गोपाल सुनाल , दीपू तिवारी, कांति बल्लभ तिवारी, हेम कबड्वाल , संजय दुम्का, बालादत्त डबडाल समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
