‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से बढ़ेगी विकास की रफ्तार: कोविंद

भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने दो दिवसीय धार्मिक प्रवास पर रविवार को हरिद्वार के कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
आध्यात्मिक यात्रा के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति ने मीडिया से संवाद करते हुए देश के समसामयिक मुद्दों पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’, भारत की आर्थिक प्रगति और हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम विषयों पर बेबाकी से अपने विचार रखे।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) व्यवस्था से देश में विकास की गति दोगुनी हो जाएगी और इससे GDP में 1 से 1.5 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की संभावना है।
उन्होंने जानकारी दी कि इस विषय पर गठित समिति द्वारा रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी गई है, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
अब यह प्रस्ताव संसद में विधेयक के रूप में मौजूद है, जिसे विचारार्थ संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया है। उन्होंने कहा कि समिति जो भी निर्णय लेगी, उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई होगी।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने बताया कि हाल ही में आई इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लिया है।
उन्होंने कहा, “अब हमारे आगे केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी हैं। यदि वर्तमान विकास दर जारी रही तो आने वाले दो वर्षों में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।”
उन्होंने इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को देते हुए कहा कि देश को एक प्रतिष्ठित और 24 घंटे कार्यरत नेता मिला है, जो राष्ट्र की प्रगति के लिए सतत प्रयासरत हैं।
ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कोविंद ने कहा कि यह अभियान भारतीय सेना के साहस और रणनीतिक कौशल का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर एक ऐसा मिशन है जिसे देश और दुनिया सदियों तक याद रखेंगे।”
उन्होंने इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई बताते हुए कहा कि इस अभियान ने भारत की वैश्विक सैन्य छवि को मजबूत किया है और एक स्पष्ट संदेश पूरी दुनिया को दिया है।
अपनी यात्रा के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने हरिहर आश्रम में रुककर साधु-संतों से बातचीत की और देश में धार्मिक सहिष्णुता, सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त बनाए रखने पर ज़ोर दिया। स्वामी अवधेशानंद गिरी से हुई मुलाकात को उन्होंने “आत्मिक ऊर्जा से भरने वाला अनुभव” बताया।
