उत्तराखंडः यहां भू-धंसाव से दहशत, दर्जनों घरों में दरारें, विस्थापन शुरू

उत्तराखंड में लगातार बिगड़ते मौसम के कारण आपदा की चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। राज्य के पर्वतीय ज़िले उत्तरकाशी में लगातार बारिश के चलते भू-धंसाव की घटनाएं तेज़ी से सामने आ रही हैं, जिससे गांवों में अफरा-तफरी मची हुई है।
सिल्याण गांव और आसपास के क्षेत्रों में ज़मीन खिसकने से दस से अधिक मकानों और आंगनों में गहरी दरारें आ चुकी हैं। हालात इतने खराब हैं कि तीन मकानों और एक आंगनबाड़ी केंद्र के कभी भी गिरने का खतरा बना हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बीतते दिन के साथ दरारें बढ़ती जा रही हैं, जिससे वे लगातार भय और तनाव में जी रहे हैं। पास के क्यार्क गांव में भी पापड़गाड़ नदी के उफान के कारण ज़मीन कटाव तेज़ हो गया है, जिससे कई और मकान प्रभावित हो गए हैं। वहां भी ग्रामीणों को घर खाली करने की नौबत आ गई है।
ग्रामीणों — कुंदन गुसाईं, सत्यदेव पंवार, नत्थी गुसाईं और कपिल पंवार — ने बताया कि डेढ़ साल पहले लोक निर्माण विभाग (PWD) ने सिल्याण-निराकोट मोटर मार्ग बनाने के लिए बिना किसी तकनीकी सर्वे के तेज़ी से कटाई शुरू कर दी थी। इससे गांव के नीचे भू-धंसाव की प्रक्रिया शुरू हो गई, जिसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
प्रशासन द्वारा कुछ स्थानों पर सुरक्षा के लिए जालियां लगवाई गईं, लेकिन उनका कोई असर नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले साल भूगर्भीय सर्वे और स्थायी समाधान का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक न तो सर्वे हुआ और न ही कोई ठोस कार्रवाई।
अब गांव के ऊपर का इलाका भी भूस्खलन की चपेट में आ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि भू-धंसाव और भूस्खलन एक साथ सक्रिय हो गए, तो सिर्फ सिल्याण गांव ही नहीं, बल्कि नीचे बसा तिलोथ वार्ड भी पूरी तरह प्रभावित हो सकता है।
राजस्व उपनिरीक्षक अरविंद पंवार ने बताया कि राजस्व विभाग और लोनिवि की टीम ने क्षेत्र का निरीक्षण किया है। उन्होंने पुष्टि की कि तीन से चार घरों को गंभीर खतरा है। ऐसे में उन परिवारों को जिला मुख्यालय स्थित इंटर कॉलेज भवन में अस्थायी रूप से शिफ्ट करने की सलाह दी गई है। साथ ही प्रशासन को रिपोर्ट भेजकर भूगर्भीय जांच की सिफारिश की गई है।
