मूसलाधार बारिश ने मचाई तबाही, गौरीकुंड में मलबे से रास्ता बंद, युद्धस्तर पर राहत-बचाव कार्य

उत्तराखंड में एक बार फिर आसमान से आफत बरसी है। भारी बारिश के चलते गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़ापड़ाव के निकट लगभग 30 मीटर क्षेत्र में भूस्खलन से भारी मलबा और चट्टानें गिर गईं, जिससे मार्ग बाधित हो गया। इसके चलते बड़ी संख्या में तीर्थयात्री मार्ग में ही फंस गए।
रातभर हुई अतिवृष्टि के कारण रुद्रप्रयाग जिले के कई क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात बन गए हैं। राज्य सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ कर दिए हैं।
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि तड़के सुबह 6 बजे से राहत एवं बचाव टीमें प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हो गई थीं। दोपहर 3:30 बजे तक केदारनाथ धाम की ओर से लगभग 1600 यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
राहत की बात यह है कि अब तक किसी प्रकार की जनहानि या पशुहानि की सूचना नहीं मिली है।
बीती रात 1:00 बजे से 4:00 बजे के बीच भारी बारिश के कारण तहसील रुद्रप्रयाग अंतर्गत ग्राम चमेली, रूमसी, चमरारा तोक और विजयनगर क्षेत्र में सौड़ी गदेरे और बेडू बगड़ नाले में अचानक जलप्रवाह बढ़ गया, जिससे कई इलाकों में भारी मलबा और पानी घुस गया।
इस आपदा में 8-10 भवनों, गौशालाओं, शौचालयों और संपर्क मार्गों को नुकसान पहुंचा है। कई घरों में मलबा भर गया, जिससे ग्रामीणों को रातोंरात सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया।
जैसे ही घटना की सूचना राज्य और जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र को प्राप्त हुई, तुरंत एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राजस्व विभाग, पुलिस, स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग की टीमें मौके पर रवाना कर दी गईं।
प्रशासन ने राहत कार्यों के लिए JCB और अन्य भारी मशीनों को तैनात किया है। प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से मलबा हटाने और मार्ग बहाल करने का कार्य जारी है।
प्रभावित लोगों को सुरक्षित राहत शिविरों में पहुंचाया गया, जहां उनके लिए भोजन, चिकित्सा, पेयजल और आवश्यक सेवाओं की समुचित व्यवस्था की गई है।
सुबह लगभग 4:00 बजे, गौरीकुंड के निकट घोड़ापड़ाव से 50 मीटर दूरी पर भारी भूस्खलन के कारण केदारनाथ यात्रा मार्ग का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। तुरंत कार्रवाई करते हुए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमों ने वैकल्पिक मार्ग बनाकर 1600 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला।
अब तक 700 अन्य यात्रियों को निकालने का कार्य जारी है। अधिकारियों का कहना है कि मौसम अनुकूल रहा तो शाम तक सभी बाधित मार्ग बहाल कर दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति पर निगरानी रखते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राहत कार्यों में तेजी लाई जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने भी राहत कार्यों की प्रगति की निजी तौर पर समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य की आपदा प्रबंधन टीम, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, और प्रशासन ने अत्यंत सराहनीय कार्य किया है।
