उत्तराखंड सहायक अध्यापक भर्ती में बी एड और ब्रिज कोर्स अभ्यर्थियों की याचिका हाईकोर्ट में खारिज
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सहायक अध्यापक प्राथमिक भर्ती प्रक्रिया में बी एड डिग्री और 6 महीने के ब्रिज कोर्स किए हुए अभ्यर्थियों की याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को देवेश शर्मा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में यह आदेश दिया था कि केवल वे बी एड डिग्रीधारी और ब्रिज कोर्स किए हुए अभ्यर्थी राहत के पात्र होंगे, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले नियुक्ति प्राप्त की थी। इसके अलावा, नई भर्ती प्रक्रिया में इन अभ्यर्थियों को अयोग्य माना गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रिव्यू याचिका में भी अप्रैल 2024 में अपने पहले के आदेश को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बताया गया कि उत्तराखंड में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए जारी विज्ञप्ति में केवल डी एल एड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को आवेदन करने की अनुमति दी गई थी, जबकि बी एड और ब्रिज कोर्स किए हुए अभ्यर्थियों ने इसे चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार, सहायक अध्यापक की भर्ती में केवल डी एल एड अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मानक एन सी टी ई (राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद) ने निर्धारित किया था, जबकि 2018 में एन सी टी ई ने आंशिक संशोधन कर बी एड डिग्रीधारियों को 6 महीने के ब्रिज कोर्स के बाद भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने की छूट दी थी।
राज्य सरकार और एन सी टी ई की ओर से कोर्ट को यह बताया गया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने एन सी टी ई के इस संशोधन को रद्द कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया कि नई सहायक अध्यापक भर्ती के लिए डी एल एड की शैक्षिक योग्यता अनिवार्य होगी।
याचिकाकर्ता अब सुप्रीम कोर्ट में पुनः अपील करने की तैयारी कर रहे हैं। ब्रिज कोर्स संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष और केंद्रीय संयोजक सुरेंद्र सिंह राणा ने कहा कि वे उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के ब्रिज कोर्स अभ्यर्थियों के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।