उत्तराखंड की झांकी ने प्रथम स्थान पाकर बनाया इतिहास
देहरादून। गणतंत्र दिवस परेड में शामिल उत्तराखंड की मानसखंड पर आधारित झांकी को पहला स्थान मिला है। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है। कहा है कि यह उत्तराखंड के लिए गौरव का पल है।
गणतंत्र दिवस परेड को अभी तक राजपथ के नाम से जाना जाता था, किंतु इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है। नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह पहली परेड थी, जिसमें उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश मे प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय मानसखंड सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था। उत्तराखंड की झांकी में कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करते हुए बारहसिंघा, घुरल, हिरन के अलावा अल्मोड़ा का जागेश्वर मंदिर दिखाया गया था. इसके साथ ही झांकी के मंदिर को ऐपण की बेलों से सजाया गया था और झांकी में कुमाऊं के पारंपरिक छोलिया नृत्य और बेडू पाको की धुन भी शामिल हुए। इस दौरान सूचना विभाग के निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में उत्तराखंड से 18 कलाकार झांकी में शामिल हुए थे।
गणतंत्र दिवस परेड में शामिल इस झांकी को पहला स्थान मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है। प्रधानमंत्री ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है। प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में सांस्कृतिक नवजागरण में उत्तराखंड सरकार भी काम कर रही है। मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। “मानसखण्ड” मंदिर माला मिशन के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है।