नेता प्रतिपक्ष का आरोप: त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में ग्रामीण प्रतिनिधित्व को कम कर रही सरकार
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उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, सरकार त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व कम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की परिसीमन नीति के चलते पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत सीटों की संख्या घट रही है, जिससे इन क्षेत्रों का विकास प्रभावित होगा।
यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारी हो रही है, और सरकार पिछले कुछ महीनों से जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत सीटों का परिसीमन कर रही है। उनका आरोप था कि, यदि सरकार के आदेशों और फार्मूले पर विश्वास किया जाए तो पर्वतीय क्षेत्रों के जिलों में हर स्तर पर पंचायतों की सीटों की संख्या या तो घटेगी या यथावत रहेगी, जिससे इन क्षेत्रों के विकास में रुकावट आएगी।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि, सरकार ने परिसीमन से संबंधित आदेश जारी करते हुए पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 24,000 की जनसंख्या पर 2 जिला पंचायत सीटें और मैदानी क्षेत्रों के लिए 50,000 की जनसंख्या पर 2 सीटें निर्धारित की हैं। इससे पर्वतीय विकास खंडों में जिला पंचायत सीटों की संख्या या तो घटी है या पहले जैसी बनी रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में 12,000 की जनसंख्या वाले क्षेत्रफल की बहुत बड़ी भूमि है, जिसके कारण पंचायतों को अपने क्षेत्रों के विकास में कठिनाइयाँ आती हैं।
यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों का परिसीमन कर कई नगरीय पंचायतों का दर्जा बढ़ा दिया और वहां वार्डों की संख्या भी बढ़ाई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों के परिसीमन में सीटों की संख्या स्थिर या घट रही है। उन्होंने इसे सरकार की मंशा के रूप में देखा कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पंचायतों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं देना चाहती है।
उन्होंने आगे कहा कि पंचायतों की सीटों में कमी आने से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए बजट और योजनाओं की आवंटन में कमी आएगी, जिससे विकास की गति भी धीमी हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में जिला पंचायत की सीटों का गठन 8 से 10 हजार की जनसंख्या में होना चाहिए, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में विकास की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके।
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