न करें किसी भड़काऊ पोस्ट पर बिना विचारे किसी भी प्रकार की अनर्गल टिप्पणी, नहीं तो जा सकते हैं जेल
हरिद्वार। सोशल मीडिया पर अनर्गल पोस्ट, टिप्पणी या सामूहिक हिंसा और लिंचिंग Lynching की घटनाओं पर रोक लगाने हेतु माननीय सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया हैं। अगर आपने भी अपने युवा बच्चों को मोबाइल दिए हैं जो भड़काऊ पोस्ट करते हैं, अथवा बिना सोचे समझे किसी भी पोस्ट पर कुछ भी कमेंट कर देते हैं तो आप सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को समझें और अपने बच्चों के भविष्य को बचाएं।
सामूहिक हिंसा और Lynching की घटनाओं पर रोक लगाने हेतु प्रत्येक जनपद में एक स्पेशल टास्क फोर्स का होगा गठन।
बड़े जिलों में एसपी क्राइम व छोटे जिलों में एसपी रहेंगे नोडल अधिकारी।
नोडल अधिकारी की सहायता हेतु एक DySp स्तर के अधिकारी रहेंगे नियुक्त।
दो समुदायों के बीच द्वेष पूर्व भाषण, फेक न्यूज, उत्तेजित बयानों से समाज में घृणा फैलाकर दुश्मनी पैदा करने वाले लोगों के बारे में सूचना की जाएगी एकत्रित, ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमे होंगे दर्ज और जाना होगा जेल।
इस प्रकार की घटनाओं में किसी भी प्रकार की संलिप्तता पाए जाने पर पुलिस द्वारा कड़ी से कड़ी वैधानिक कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जाएगा।
इसलिए बेहतर रहेगा कि हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को समझें और ऐसा करने से बचें क्योंकि अब सोशल मीडिया अथवा अन्य किसी भी साधन से समाज में किसी भी प्रकार की द्वेष भावना भड़काना या किसी भड़काऊ पोस्ट पर बिना विचारे किसी भी प्रकार की अनर्गल टिप्पणी करना जिससे समाज में विक्षोभ पैदा होता हो, में तुरंत मुकदमा दर्ज होगा और जेल भी जाना होगा। सभी अभिभावक जिन्होंने अपने युवा बच्चों को मोबाइल दिए हैं उनका भी फर्ज है कि वे भी जागरूक रहते हुए, देश में समय-समय पर कानूनों में हो रहे बदलाव अथवा आ रहे नए कानून और उसमें समाज की सहभागिता/जिम्मेदारी के संदर्भ में अपने बच्चों को समय रहते बताएं ताकि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित बचा रहे।