श्रीमद् देवी भागवत कथा में महिषासुर वध और अधर्म के नाश का हुआ दिव्य प्रसंग

नैनीताल। नगर में चल रहे श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के तीसरे दिवस पर कथा व्यास देवेश शास्त्री ने श्रद्धालुओं को देवी के तीन प्रमुख स्वरूपों—काली, लक्ष्मी और सरस्वती—की महिमा से अवगत कराया। उन्होंने देवी को त्रिशक्ति के रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया कि देवी न केवल शक्ति और विनाश की प्रतीक हैं, बल्कि ज्ञान और समृद्धि की स्रोत भी हैं।
देवेश शास्त्री ने विस्तार से बताया कि देवी काली अधर्म और अज्ञानता का नाश करने वाली शक्ति हैं, जो समस्त दुष्ट शक्तियों का संहार करती हैं। लक्ष्मी देवी ऐश्वर्य, वैभव और समृद्धि का प्रतीक हैं, जो अपने भक्तों को सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। वहीं सरस्वती देवी ज्ञान, विद्या और बुद्धि का प्रतीक हैं, जो जीवन में प्रकाश और विवेक का संचार करती हैं।
कथा में महिषासुर, चंड-मुंड जैसे राक्षसों के संहार और देवी चामुंडा के पराक्रम का वर्णन करते हुए व्यास जी ने बताया कि किस प्रकार देवी ने देवताओं को संकट से उबारा और धर्म की पुनर्स्थापना की। उन्होंने देवी को समस्त ब्रह्मांड की शक्ति का केंद्र बताया, जिनकी कृपा से जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
व्यास जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, “देवी के विविध रूप हमें जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी संयम, श्रद्धा और आत्मबल बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं। उनकी आराधना से जीवन में शक्ति, ज्ञान और समृद्धि का समावेश होता है।”
तीसरे दिन की कथा के यजमान हीरा सिंह रावत सपत्नीक रहे। इस पुण्य अवसर पर नगर के प्रमुख श्रद्धालु—मनोज साह, जगदीश बावड़ी, अशोक साह, मुकेश जोशी, राजेंद्र लाल साह, देवेंद्र लाल साह, कैलाश बोरा, मिथिलेश पांडे, आनंद बिष्ट, हरीश पंत, राजेंद्र बिष्ट, बिमल साह, बिमल चौधरी, भुवन बिष्ट, मुन्नी भट्ट, सभासद लता दफौटी, मोहित लाल साह, सुमन साह, भावना, वंदना पांडे, केदार सिंह राठौर, खुशहाल कार्की, हरीश राणा सहित अनेक श्रद्धालुओं ने उपस्थिति दर्ज कर भक्ति लाभ प्राप्त किया।
