अभ्यस्त साइकिल चोरों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, 19 साइकिलें बरामद
देहरादून। दो अभ्यस्त साइकिल चोरों को देहरादून पुलिस ने अलग-अलग थाना क्षेत्रों से चोरी की गई लगभग 03 लाख रुपये कीमत की 19 साइकिलों के साथ गिरफ्तार किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 24 फरवरी को कुलदीप सिंह पुत्र तेजपाल सिंह निवासी 75 साइ लोक कॉलोनी बसन्त विहार द्वारा बसन्त विहार थाना पुलिस को प्रार्थना पत्र दिया गया कि अज्ञात चोर द्वारा उनके घर से उनकी साइकिल हीरो थार्न चोरी कर ली गयी है। जिस पर प्रभारी निरीक्षक बसन्त विहार द्वारा तत्काल अन्तर्गत धारा 380 आईपीसी बनाम अज्ञात अभियोग पंजीकृत कराकर उच्चाधिकारीगणों को घटना के सम्बन्ध में जानकारी दी गई एवं पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा घटना के अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये। जिनके अनुपालन में प्रभारी निरीक्षक बसन्त विहार द्वारा स्वंय के नेतृत्व में अलग-अलग टीमों का गठन किया गया। गठित पुलिस टीम द्वारा घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण कर घटनास्थल एवं उसके आस-पास लगे 63 सीसीटीवी कैमरों को चैक किया गया साथ ही मुखबिर तंत्र को भी सक्रिय करते हुए पूर्व में चोरी की घटनाओं में प्रकाश में आये अभियुक्तों की वर्तमान स्थिती के सम्बन्ध में जानकारी की गयी।
सीसीटीवी फुटेजों के अवलोकन एवं मुखबिर से प्राप्त सूचना के आधार पर पुलिस टीम द्वारा घटना में संलिप्त 02 अभियुक्तों सौरभ अरोडा, पुत्र स्व. नरेश अरोडा निवासी 170 संजयकालोनी थाना पटेलनगर देहरादून उम्र 24 वर्ष तथा राजा पुत्र इलियास निवासी मकान नं0 34 निरंजनपुर वार्ड नं0 48 माजरा थाना पटेलनगर उम्र 24 वर्ष को टी स्टेट खण्डहर के पास से चोरी की साइकिल सहित अन्तर्गत धारा 380/411 भादवि व 41/102 सीआरपीसी के तहत गिरफ्तार किया गया। अभियुक्तगणों के निशानदेही पर उनके कब्जे से जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों से चोरी की गयी 18 अन्य साइकिलें भी बरामद की गयी। अभियुक्त सौरभ अरोडा द्वारा पूछताछ में बताया गया कि वह दोनो चरस व स्मैक के नशे के आदी हैं, पर आर्थिक स्थिती ठीक न होने के कारण अपनी नशे की पूर्ति के लिये उनके द्वारा देहरादून के अलग-अलग स्थानों से महंगी साइकिलो की चोरी की जाती है तथा उक्त साइकिलों को बेचकर उनसे प्राप्त पैसों को वह अपने नशे की पूर्ति तथा दोस्तों के सामने अपनी धमक जमाने के लिये उनके ऊपर खर्च कर देते थे। चोरी की साइकिलों को उनके द्वारा टी स्टेट के बीच स्थित खण्डर में छुपा कर रखा जाता था तथा जरूरत के हिसाब से समय-समय पर उक्त साइकिलों को बेचकर वह अपने शौक की पूर्ति करते थे।